पुलिस है कि मानती नहीं, सटोरिए है कि मनमानी से बाज आते नहीं
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शुजालपुर पुलिस और सटोरियों में चल रहा है तू-डाल-डाल, मैं पत्ते पत्ते
गली-मोहल्ले के बेरोजगार-कम पढ़े-लिखे युवक सटोरियों के निशाने पर
सट्टा लिखने वाले गुर्गों को नहीं मालूम कि मुख्य सटोरियों का बॉस कौन
नशीले पदार्थ के लालच और कमीशन के नाम पर सटोरिए डाल रहे है दाने
प्रखर न्यूज व्यूज एक्सप्रेस सरोकार और सामाजिक दायित्व को निभाते हुए समाज में फैले असामाजिक गतिविधियों के खिलाफ खबरों को प्रकाशित कर शासन-प्रशासन के संज्ञान में लाने की अहम भूमिका निभा रहा है। शुजालपुर में निम्न और मध्यमवर्गीय परिवार के साथ-साथ गरीब तबकों के लोगों में सट्टा की खुमारी ऐसी छाई है कि कामधंधा छोडकर ओपन-टू-क्लोज का दिवाना हो चुका है। इसकी तस्वीर सब्जी मार्केट मलिक के यहा साफ देखी जा सकती है। सुबह उठते ही पुराने रिकार्ड लेकर लोग सट्टा का अचूक आंकड़ा निकालते दिख जाते है, और क्या आया, क्या खुला, जैसे डायलॉग सुन सकते है। लोगों को शहर और घर में क्या हो रहा है क्या सामान नहीं है, इसकी चिंता करने के बजाय ओपन-टू-क्लोज की दिवानगी सब्जी मार्केट मलिक और गोपाल डेरी के साईड में शाकिर यहा देखी जा सकती है। पुलिस का खुफिया तंत्र लगातार सटोरियों की सूचना देकर ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है। उसके बाद भी सटोरियों और पुलिस में लुकाछिपी का खेल बेखौफ चल रहा है। पुलिस है कि कार्रवाई से मानती नहीं और सटोरिए है कि मनमानी से बाज आते नहीं के तर्ज पर खेल चल रहा है। पुलिस कार्रवाई का तो सटोरियों को खैौफ ही नहीं रहा है, कारण जगजाहिर है, छुटभैया नेता उनके संरक्षक जो है, जो थाने से छुड़ाने का साल भर का ठेका ले रखे हैं। लग्जरी लाइफ जीने वाले छुटभैया नेता जिसे कभी साइकिल भी नसीब नहीं था, वे आज कार और स्कार्पियो में घूम रहे है। जबकि सभी को मालूम है कि उन छुटभैया नेताओं का फाइनेंसियल बैकग्राउंड आज से पांच साल पहले क्या था,और आज क्या है। जमीन दलाली और सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले छुटभैया नेता दिहाड़ी कमाई के लिए सटोरियों को संरक्षण दे रखे है जिससे उनकी गाड़ी का पेट्रोल खर्चा और रात को खाने-पीने का इंतजाम सटोरियों के बोस मलिक ही करता है। बड़े बड़े सटोरियों से हाथ मिलाकर राज्य स्तर पर सट्टा का संचालन को अंजाम दे रहे है। पुलिस को जहां-जहां सट्टा लिखने की सूचना मिलती है लगातार कार्रवाई भी कर रही है, उसके बाद भी सटोरियों में पुलिसिया खौफ कहीं भी देखने को नहीं मिल रहा है। पुलिस के बड़े अधिकारियों के सख्त निर्देश के बाद भी शुजालपुर में सट्टा बंद नहीं हो सका। पुलिस भी इन कमियों को जानती है, लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते मजबूर है, छोटे-मोटे गुर्गों को पकड़ कर खाना पूर्ति कर रही है। जबकि सट्टा किंग मलिक आलीशान आफिस बनाकर लक्जरी कार में नेताओं के साथ उठ बैठ रहे है । ऐसी स्थिति में पुलिस उन सटोरियों के गिरेबान पर हाथ डाले तो कैसे डाले, क्योंकि उसके पास पुख्ता सबूत ही नहीं है, पुुलिस ने आज तक जितने भी सटोरियों को पकड़ा है किसी ने भी सट्टा किंग मलिक का नाम नहीं बताया है। ये सटोरिए तो निजी मुचलके पर थाने से ही छूट कर फिर सट्टा में लिप्त हो जाते है। क्योंकि सट्टा में ही रोज एक हजार की कमाई करने की आदत लग चुकी है। दिहाड़ी मजदूरी में किसी के दुकान में काम करने पर मात्र 300 रुपए मिलते है, इसलिए रोज एक हजार रुपए कमीशन के लिए सट्टा को ही मुख्य रोजगार बना रखा है।
पूरे सातों दिनों सट्टा का खेल शुजालपुर में चल रहा है, मलिक और शाकीर गैंग अपना सट्टा- कारोबार चलने के लिए रोज नए-नए तरीके का इस्तेमाल कर रहे है।
*कोई रोक-टोक नहीं*
शहर के कई क्षेत्रों में सट्टे का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो पूरा मामला जान कर भी स्थानीय पुलिस मौन धारण किये हुए है। पूरे शहर को सट्टे ने अपनी चपेट में ले लिया है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोग अब खुलेआम सट्टा खेल रहे हैं और उनमें पुलिस का भी कोई डर नहीं नजर आता। वहीं पुलिस भी इस पूरे मामले पर अपनी आंखें मूंदे हुए हैं। शहर की तंग गलियों में काफी लोग सट्टे के धंधे में लगे हुए हैं। वहीं हालात देखकर लगता है कि इस पूरे मामले में कहीं ना कहीं पुलिस की कार्रवाई नहीं हो रही है, क्योंकि जिस तरह लोग खुलेआम सट्टा चलने लगा है, इसकी जानकारी पुलिस को होते हुए भी कोई कार्यवाई नहीं कि जाती हैं।
*कानून व्यवस्था बिगाड़ ने वाले सक्रिय*
जिले में कानून व्यवस्था को बिगाडऩे वाले सटोरियों का गिरोह सक्रिय है, जो आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने के बाद भी पुलिस का भय नहीं है। पहले तो कभी कभार एक दो छोटे प्रकरण बनाकर खानापूर्ति कर दी जाती थी, लेकिन सट्टे के कारोबारियो के हौसले बुलंद हैं। वे अपने काम को
खुलेआम संचालित कर रहे हैं। सट्टे के इस कारोबार में जहां एक तरफ सटोरिया मालामाल हो रहे हैं वहीं दूसरी तरफ कई घर बर्बादी के कगार पर पहुंच चुके है लेकिन स्थानीय पुलिस मानो कान में तेल डाल कर बैठी हो और वह सटोरियों पर मेहरबान नजर आ रही है।
पुलिस भी इस बात से बेखबर है और सबसे हैरान करने वाली बात तो ये है कि पुलिस इनके ठिकानों में छापा मारने जाते भी है तो मलिक ने कई जगह नेटवर्क फैला रखा है। जिससे पुलिस की कार्रवाई की सूचना मिल जाती है ओर ये अंडरग्राउंड हो जाते है। हर गलियों में अपने गुर्गे बिठाकर रखे हैं। । और सट्टा खिलाने के लिए मलिक